6G क्रांति: VNIT नवाचार के साथ भारत कैसे बनेगा नेक्स्ट-जेन टेलीकॉम लीडर
भारत ने 5G को रिकॉर्ड समय में लागू करके दुनिया को अपनी तकनीकी क्षमता दिखाई है। अब, देश का ध्यान अगले बड़े तकनीकी लक्ष्य—6G नेटवर्क—पर केंद्रित है। यह केवल एक अपग्रेड नहीं है, बल्कि यह दूरसंचार (Telecom), सुरक्षा (Security) और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक महाशक्ति (Global Superpower) बनाने की नींव है।
हाल ही में इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में, विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (VNIT), नागपुर के फैकल्टी ने जो स्वदेशी 6G समाधान प्रदर्शित किए हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता (Consumer) नहीं, बल्कि उसका निर्माता (Creator) बन चुका है।
यह विस्तृत गाइड 6G की क्रांति, VNIT के नवाचारों, और भारत के तकनीकी नेतृत्व के लिए आगे की रणनीतियों पर प्रकाश डालता है।
1. 6G क्यों है भविष्य का गेम-चेंजर?
6G, जो 5G की अगली पीढ़ी है, का लक्ष्य केवल इंटरनेट की गति बढ़ाना नहीं है, बल्कि कनेक्टिविटी को ‘सर्वव्यापी’ (Ubiquitous), ‘बुद्धिमान’ (Intelligent) और ‘निर्बाध’ (Seamless) बनाना है।
A. 6G बनाम 5G: मुख्य अंतर
| विशेषता | 5G नेटवर्क | 6G नेटवर्क (लक्ष्य) |
| पीक स्पीड | 10 Gbps तक | 100 Gbps से 1 Tbps तक |
| विलंबता (Latency) | 1 मिलीसेकंड (ms) | 0.1 मिलीसेकंड से कम (Near-Instant) |
| मुख्य अनुप्रयोग | IoT, संवर्धित वास्तविकता (AR), क्लाउड गेमिंग | क्वांटम संचार, होलोग्राफिक टेलीप्रेजेंस, AI-एकीकरण |
| कवरेज | सेल टॉवर आधारित | टेरेस्ट्रियल और नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (सैटेलाइट) का एकीकरण |
6G की अल्ट्रा-लो लेटेंसी और उच्च गति AI-संचालित रोबोटिक्स, टेलीमेडिसिन (दूरस्थ सर्जरी), और क्वांटम इंटरनेट जैसी अगली-पीढ़ी की तकनीकों को साकार करने की कुंजी हैं।
2. IMC 2025: VNIT के स्वदेशी 6G नवाचार
इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में, VNIT नागपुर के फैकल्टी डॉ. प्रभात कुमार शर्मा ने जो समाधान प्रस्तुत किए, वे भारत के स्वदेशी 6G रोडमैप के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:
A. RIS (Reconfigurable Intelligent Surface) तकनीक
- नवाचार: RIS 6G नेटवर्क का एक मूलभूत घटक है। यह एक ऐसा स्मार्ट सरफेस है जो वायरलेस सिग्नल को गतिशील रूप से (dynamically) निर्देशित कर सकता है।
- प्रभाव:
- बेहतर कवरेज: RIS सिग्नल को उन क्षेत्रों में भी पहुँचा सकता है जहाँ पारंपरिक रूप से कनेक्टिविटी नहीं पहुँचती।
- ऊर्जा दक्षता: यह अनावश्यक सिग्नल ट्रांसमिशन को कम करके नेटवर्क की ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) को बढ़ाता है।
- सुरक्षा: यह तकनीक वायरलेस सिग्नल को नियंत्रित करके नेटवर्क सुरक्षा को भी बढ़ा सकती है।
B. स्वदेशी ‘Wireless Bubble’ प्रणाली
- नवाचार: Sarvaksh Communications Technologies Pvt Ltd (जो VNIT द्वारा इनक्यूबेट की गई है) द्वारा विकसित यह प्रणाली रक्षा और नागरिक क्षेत्रों के लिए एक सुरक्षित (Secure) और अनुकूली (Adaptive) संचार ढाँचा प्रदान करती है।
- महत्व: यह प्रणाली भारत को बाहरी तकनीकी निर्भरता (Foreign Dependency) से बचाते हुए, रक्षा और रणनीतिक संचार के लिए स्वदेशी समाधान प्रदान करती है।
C. शिक्षा और उद्योग का सहयोग
IMC 2025 में, संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, आकाश अंबानी और सुनील भारती मित्तल जैसे उद्योग जगत के दिग्गजों की उपस्थिति ने शिक्षाविदों और उद्योग के बीच मजबूत सहयोग को रेखांकित किया।
- शिक्षा का महत्व: VNIT जैसे संस्थानों में हो रहा अनुसंधान अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे ‘बाज़ार-तैयार’ (Market-Ready) उत्पादों में बदल रहा है। यह प्रवृत्ति भारत को एक ऐसे ज्ञान-आधारित समाज की ओर ले जा रही है, जहाँ अकादमिक खोजें राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करती हैं।
3. 6G की राह में भारत का ‘आत्मनिर्भर’ दृष्टिकोण
भारत 6G में केवल वैश्विक दौड़ में भाग नहीं ले रहा है, बल्कि वह इसे ‘स्वदेशी’ और ‘सुरक्षित’ बनाने पर ज़ोर दे रहा है।
A. 4G स्टैक से मिली सफलता
- Made-in-India 4G स्टैक: भारत ने हाल ही में अपना स्वदेशी 4G स्टैक (जिसमें C-DOT का कोर नेटवर्क और Tejas Networks का RAN शामिल है) सफलतापूर्वक लागू किया है। इसके साथ, भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जो अपना खुद का टेलीकॉम उपकरण बना और तैनात कर सकते हैं।
- 6G का आधार: 4G स्टैक की यह सफलता 6G प्रौद्योगिकियों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है। यह आत्मविश्वास बढ़ाती है कि भारत 6G के लिए भी मुख्य प्रौद्योगिकियों का निर्माण कर सकता है।
B. वैश्विक साझेदारी और ‘तकनीक का निर्यात’
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत 6G के विकास के लिए वैश्विक सहयोग को भी महत्व दे रहा है। IMC 2025 में जापान, यूके और अन्य देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी ने भविष्य में सह-विकास (co-development) की संभावनाओं को बढ़ाया है।
- तकनीक का निर्यातक: भारत का लक्ष्य केवल घरेलू उपयोग के लिए 6G बनाना नहीं है, बल्कि इसे अन्य विकासशील देशों को निर्यात करना है। 4G स्टैक के निर्यात के लिए तैयार होने की घोषणा इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
4. चुनौतियाँ और आगे की रणनीति
6G लीडरशिप की राह में कुछ बड़ी चुनौतियाँ हैं जिन पर ध्यान देना होगा:
- कौशल विकास (Skill Development): 6G, AI, और क्वांटम संचार जैसी प्रौद्योगिकियों के लिए उच्च-कुशल कार्यबल (highly-skilled workforce) की आवश्यकता है। सरकार को IIT, VNIT और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर मिलियन-स्ट्रांग टैलेंट पूल तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- बुनियादी ढाँचा: 6G को साकार करने के लिए डेटा सेंटर और क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश की ज़रूरत होगी, ताकि उच्च गति वाले डेटा को सुरक्षित रूप से संसाधित (process) किया जा सके।
- सुरक्षा (Security) और निजता (Privacy): 6G के साथ, अधिक डेटा और अधिक डिवाइस नेटवर्क से जुड़ेंगे। इससे साइबर हमले का जोखिम बढ़ेगा। साइबर सुरक्षा और डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty) को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून और उन्नत AI-आधारित सुरक्षा समाधानों की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष
6G क्रांति भारत को एक नए तकनीकी युग में ले जाने वाली है। VNIT जैसे संस्थानों के माध्यम से स्वदेशी नवाचार और सरकार का मज़बूत नीतिगत समर्थन यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारत केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि अगला वैश्विक तकनीकी लीडर बने। 6G का सफल कार्यान्वयन न केवल हमारी कनेक्टिविटी को तेज़ करेगा, बल्कि टेलीमेडिसिन, स्मार्ट एग्रीकल्चर और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मज़बूती प्रदान करेगा।
यह भारत का तकनीकी नेतृत्व का समय है, जहाँ नवाचार विकास को चलाता है और दुनिया भारत की ओर देख रही है।