सेमीकंडक्टर क्रांति: Semicon India 2025 के बड़े ऐलान और 'Made-in-India' चिप्स का भविष्य    

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सेमीकंडक्टर क्रांति: Semicon India 2025 के बड़े ऐलान और ‘Made-in-India’ चिप्स का भविष्य

सेमीकंडक्टर क्रांति: Semicon India 2025 के बड़े ऐलान और 'Made-in-India' चिप्स का भविष्य

इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस युग में, सेमीकंडक्टर चिप्स किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए जीवनरेखा हैं। स्मार्टफोन से लेकर कार, लैपटॉप और स्पेस मिशन तक, हर जगह ये छोटे से कंपोनेंट्स ही आधुनिक दुनिया को चलाते हैं। भारत अपनी इस महत्वपूर्ण निर्भरता को खत्म करने और एक वैश्विक सेमीकंडक्टर महाशक्ति बनने की दिशा में एक ऐतिहासिक यात्रा पर है।

हाल ही में आयोजित Semicon India 2025 इवेंट इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। इस शिखर सम्मेलन में ‘Made-in-India’ चिप्स के पहले सेट का अनावरण किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत का यह सपना अब हकीकत में बदल रहा है।

इस विस्तृत लेख में, हम Semicon India 2025 में हुए प्रमुख घोषणाओं, भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की प्रगति, और इस क्रांति से भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों पर पड़ने वाले प्रभाव का गहन विश्लेषण करेंगे।

1. Semicon India 2025: एक ऐतिहासिक क्षण

Semicon India 2025 का चौथा संस्करण नई दिल्ली के यशोभूमि (Yashobhoomi) में आयोजित किया गया। इस आयोजन का केंद्रीय विषय था “Building the Next Semiconductor Powerhouse” (अगली सेमीकंडक्टर महाशक्ति का निर्माण)।

A. ‘मेड इन इंडिया’ चिप्स का अनावरण

इवेंट का सबसे बड़ा आकर्षण ‘मेड इन इंडिया’ चिप्स के पहले सेट की प्रस्तुति थी।

  • ISRO का विक्रम प्रोसेसर: ISRO की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला द्वारा विकसित विक्रम 32-बिट प्रोसेसर को विशेष रूप से अंतरिक्ष यान (launch vehicle) के वातावरण के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उपलब्धि भारत के स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमता का प्रमाण है।
  • पहला OSAT उत्पादन: गुजरात के साणंद (Sanand) में CG-Semi द्वारा स्थापित OSAT (Outsourced Semiconductor Assembly and Test) पायलट लाइन से देश के पहले पैकेज्ड सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन शुरू हो गया है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल डिजाइन नहीं, बल्कि चिप्स की असेंबली और पैकेजिंग में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।
  • टाटा और माइक्रोन की प्रगति: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (Powerchip के साथ साझेदारी में) और माइक्रोन टेक्नोलॉजी (Micron Technology) दोनों ही गुजरात में अपनी फैब्रिकेशन और असेंबली इकाइयों में तेज़ी से काम कर रहे हैं, जिसका वाणिज्यिक उत्पादन 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत तक होने की उम्मीद है।

B. विशाल निवेश और वैश्विक साझेदारी

Semicon India 2025 ने साबित किया कि भारत का सेमीकंडक्टर सपना वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर है।

  • ₹1.6 लाख करोड़ का निवेश: भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत अब तक ₹1.60 लाख करोड़ से अधिक के कुल निवेश वाली 10 रणनीतिक परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
  • टाटा का $11 बिलियन का दांव: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का गुजरात के धोलेरा में फैब्रिकेशन प्लांट लगभग ₹91,000 करोड़ ($11 बिलियन) का निवेश है, जो भारत की अब तक की सबसे बड़ी फैब पहल में से एक है।
  • वैश्विक उपस्थिति: इस इवेंट में 33 देशों की 350 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। SEMI (वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग संघ) जैसे वैश्विक संगठनों की सक्रिय भागीदारी ने भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक ‘विश्वसनीय भागीदार’ के रूप में स्थापित किया है।

2. भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): सफलता के पीछे की नीति

भारत की यह प्रगति केवल कुछ कंपनियों के प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह ₹76,000 करोड़ के बजट वाली भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना की सफलता का नतीजा है।

A. तीन-आयामी रणनीति (Design, Fab, and ATMP)

ISM तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:

  1. डिज़ाइन (Design Linked Incentive – DLI): DLI योजना स्वदेशी चिप डिजाइन को प्रोत्साहित करती है। इसका परिणाम यह हुआ है कि भारत में Mindgrove Technologies जैसे स्टार्टअप्स ने रक्षा और ऑटोमोटिव जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए उन्नत चिप्स डिजाइन किए हैं।
  2. फैब्रिकेशन (Fab): फैब्रिकेशन प्लांट (यानी चिप निर्माण कारखाने) सबसे अधिक पूंजी-गहन होते हैं। टाटा-PSMC और अन्य संयुक्त उपक्रमों को 50% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है ताकि भारत में Fabs की स्थापना हो सके।
  3. असेंबली, टेस्टिंग, पैकेजिंग (ATMP/OSAT): माइक्रोन और CG-Semi के निवेश से भारत चिप्स को असेंबल और टेस्ट करने की क्षमता विकसित कर रहा है, जो आपूर्ति श्रृंखला में एक और महत्वपूर्ण कड़ी है।

B. भविष्य की टेक्नोलॉजी पर फोकस

भारत पुरानी तकनीक पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, सीधे अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी में कदम रख रहा है:

  • सिलिकॉन कार्बाइड (SiC): भारत सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सेमीकंडक्टर पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • उन्नत डिज़ाइन: भारत 3-नैनोमीटर जैसे उन्नत चिप डिज़ाइन पर भी काम कर रहा है, जो वैश्विक नवाचार की अगली सीमा है।

3. अर्थव्यवस्था और रोजगार पर प्रभाव

सेमीकंडक्टर क्रांति भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।

A. आर्थिक संप्रभुता और व्यापार संतुलन

  • $100-110 बिलियन का बाजार: भारत का चिप बाज़ार, जो 2025 के अंत तक लगभग $45-50 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, 2030 तक $100-110 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • आयात निर्भरता में कमी: वर्तमान में, भारत अपनी 80% से अधिक चिप ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। घरेलू उत्पादन शुरू होने से इस निर्भरता में कमी आएगी, जिससे व्यापार घाटा (Trade Deficit) कम होगा और भू-राजनीतिक झटकों के खिलाफ अर्थव्यवस्था सुरक्षित होगी।
  • ‘विश्वसनीय भागीदार’: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अस्थिरता के कारण, पश्चिमी देश अब ‘डेमोक्रेटिक सप्लाई चेन’ में विश्वसनीय भागीदारों की तलाश में हैं। भारत, अपनी मजबूत स्थिति के कारण, इन देशों के लिए एक आदर्श भागीदार बन रहा है।
सेमीकंडक्टर क्रांति: Semicon India 2025 के बड़े ऐलान और 'Made-in-India' चिप्स का भविष्य

B. भविष्य के रोजगार के अवसर

यह मिशन न केवल विनिर्माण क्षेत्र में, बल्कि उच्च-कौशल वाले तकनीकी क्षेत्रों में भी रोजगार पैदा करेगा।

  • 1 मिलियन स्किल्ड वर्कफोर्स: अनुमान है कि 2030 तक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में एक मिलियन (10 लाख) से अधिक कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।
  • ट्रेनिंग पहल: “चिप्स टू स्टार्टअप” जैसे सरकारी कार्यक्रम इंजीनियरों को VLSI (Very Large Scale Integration) डिजाइन और एम्बेडेड सिस्टम्स में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
  • उच्च-मूल्य वाली नौकरियाँ: भारत अब केवल कॉल सेंटर और सॉफ्टवेयर सेवाएँ नहीं, बल्कि उन्नत चिप डिज़ाइन, फैब्रिकेशन और पैकेजिंग में उच्च-मूल्य वाली नौकरियाँ पैदा कर रहा है।

4. चुनौतियाँ और आगे की रणनीति

भारत की सफलता के रास्ते में कुछ चुनौतियाँ अभी भी हैं:

  • कुशल कार्यबल की कमी: फैब (Fab) प्लांट चलाने के लिए उच्च स्तर के विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जिसके लिए भारत में अभी भी पर्याप्त कुशल कार्यबल की कमी है।
  • कच्चे माल का आयात: सिलिकॉन वेफर्स और विशेष रसायनों जैसे कच्चे माल के लिए अभी भी आयात पर निर्भरता अधिक है।
  • पानी और बिजली की मांग: फैब प्लांट को चलाने के लिए भारी मात्रा में स्वच्छ पानी और स्थिर बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जिसके लिए मजबूत बुनियादी ढाँचे में निवेश की आवश्यकता है।

आगे की राह: भारत को R&D में और अधिक निवेश करना होगा, विश्वविद्यालयों और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ाना होगा, और कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को स्थानीय बनाना होगा।

निष्कर्ष

Semicon India 2025 ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत का सेमीकंडक्टर सपना केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि एक ठोस योजना और प्रगति है। ‘मेड इन इंडिया’ चिप्स का उदय देश के तकनीकी आत्मविश्वास और आर्थिक संप्रभुता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

आने वाले दशक में, सेमीकंडक्टर क्षेत्र न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि भारत टेक्नोलॉजी के उपभोक्ता से आविष्कारक (Inventor) बने। यह यात्रा रोमांचक है, और भारत वैश्विक चिप मार्केट में अपनी जगह बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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