अंतरिक्ष की महाशक्ति: ISRO के गगनयान, NISAR और चंद्रयान-4 के साथ भारत का भविष्य
Chandrayaan-4
अंतरिक्ष अन्वेषण अब केवल कुछ महाशक्तियों का एकाधिकार नहीं रहा। आज, भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम, ISRO (Indian Space Research Organisation) के नेतृत्व में, दुनिया के सामने अपनी तकनीकी कौशल का लोहा मनवा रहा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद, भारत की महत्वाकांक्षाएँ अब चाँद की सीमाओं से भी आगे निकल गई हैं।
साल 2025 भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सबसे निर्णायक वर्षों में से एक होने जा रहा है। आगामी मिशन जैसे गगनयान (Gaganyaan), NISAR, और चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) न केवल नई वैज्ञानिक उपलब्धियाँ हासिल करेंगे, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी नए रास्ते खोलेंगे।
गगनयान: अंतरिक्ष में पहला भारतीय कदम
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है। यह मिशन कई चरणों में प्रगति कर रहा है, जिसमें 2025 एक महत्वपूर्ण वर्ष है।
2025 में गगनयान के प्रमुख मील के पत्थर
- TV-D2 मिशन (Test Vehicle D2):
- उद्देश्य: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System – CES) को पूरी तरह से परखना है। CES वह महत्वपूर्ण प्रणाली है जो आपातकाल की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को रॉकेट से सुरक्षित रूप से अलग कर देती है।
- महत्व: यह परीक्षण मिशन की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गगनयान का पूरा कार्यक्रम ‘अंतरिक्ष यात्री सुरक्षा’ पर केंद्रित है।
- पहला मानवरहित कक्षीय उड़ान (G1 Mission):
- समयरेखा: ISRO के अनुसार, पहली मानवरहित G1 उड़ान 2025 के अंत में प्रस्तावित है।
- विशेषता: इस मिशन में किसी इंसान के बजाय, व्योममित्र (Vyommitra) नामक एक हाफ-ह्यूमनॉइड रोबोट को भेजा जाएगा। व्योममित्र मानव शरीर क्रिया विज्ञान (human physiology) की नकल करेगा, अंतरिक्ष यान प्रणालियों की निगरानी करेगा, और माइक्रोग्रैविटी में प्रतिक्रियाओं का डेटा इकट्ठा करेगा।
- प्रभाव: G1 मिशन से प्राप्त डेटा के आधार पर ही 2026 और उसके बाद की मानवयुक्त उड़ानों (G2, G3) की योजना बनाई जाएगी।
गगनयान मिशन के साथ, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की उस विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता है।
NISAR: धरती पर निगाहें, नासा के साथ साझेदारी
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक और बड़ी खबर है। यह ISRO और NASA के बीच एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) मिशन है, जिसे जुलाई 2025 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
NISAR क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
- दोहरी रडार प्रणाली: NISAR दुनिया का पहला सैटेलाइट है जिसमें एल-बैंड (L-band) और एस-बैंड (S-band) रडार सिस्टम दोनों लगे हैं। यह संयोजन इसे पृथ्वी की सतह, वनस्पति और बर्फ के आवरण की अभूतपूर्व विस्तार से निगरानी करने की क्षमता देता है।
- वैज्ञानिक उद्देश्य: यह उपग्रह हर 12 दिन में पृथ्वी के एक ही क्षेत्र का दौरा करेगा। इसका डेटा निम्नलिखित क्षेत्रों में क्रांति लाएगा:
- आपदा प्रबंधन: भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी और प्रतिक्रिया में मदद।
- जलवायु अध्ययन: यह बर्फ की चादरों (ice sheets) की गति, मिट्टी की नमी, और वन आवरण में बदलाव की सटीक माप प्रदान करेगा।
- कृषि: फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी और कृषि प्रबंधन में सुधार।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच दशकों पुराने मजबूत अंतरिक्ष सहयोग का प्रतीक है, जो दिखाता है कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक अनिवार्य भागीदार है।
चंद्रयान-4 और भविष्य का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद, ISRO ने एक महत्वाकांक्षी दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किया है:
- चंद्रयान-4: यह ISRO का एक अत्यंत जटिल चंद्रमा से नमूना वापसी (Lunar Sample Return) मिशन है।
- मिशन का ढाँचा: चंद्रयान-4 में पाँच मॉड्यूल शामिल होंगे। इसे दो अलग-अलग LVM3 रॉकेटों का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में ऑर्बिट में डॉकिंग और अनडॉकिंग जैसी जटिल प्रक्रियाएँ शामिल होंगी।
- उद्देश्य: चंद्रमा की सतह से चट्टान और मिट्टी के नमूने एकत्र करके उन्हें पहली बार पृथ्वी पर वापस लाना, जो चंद्र भूविज्ञान (lunar geology) में अभूतपूर्व वैज्ञानिक अनुसंधान को सक्षम करेगा।
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station – BAS):
- लक्ष्य: भारत ने 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS), स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसका पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च करने की योजना है। यह उपलब्धि भारत को अमेरिका, रूस और चीन के साथ अंतरिक्ष स्टेशन वाले देशों के विशिष्ट समूह में शामिल कर देगी।
- शुक्रयान (Shukrayaan):
- लक्ष्य: 2025 में शुक्र ग्रह की कक्षा में भारत का पहला मिशन, जिसका उद्देश्य शुक्र के वातावरण और सतह का अध्ययन करना है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी: अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का विस्तार
ISRO की सफलता ने भारत में एक जीवंत निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को जन्म दिया है। भारत सरकार की नई नीतियां और IN-SPACe जैसी संस्थाओं के गठन से निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष में नवाचार करने का रास्ता खुल गया है।
- $44 बिलियन का लक्ष्य: भारत का लक्ष्य है कि 2033 तक देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को $44 बिलियन तक पहुँचाया जाए।
- स्टार्टअप्स का उदय: 2020 से अब तक 300 से अधिक स्पेसटेक स्टार्टअप्स सामने आ चुके हैं, जो लॉन्च वाहन बनाने, सैटेलाइट डिजाइन करने और अंतरिक्ष-आधारित सेवाएं प्रदान करने में लगे हुए हैं।
- FDI और सहयोग: सरकार ने FDI नीतियों को उदार बनाया है, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। L&T, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, और विप्रो जैसी बड़ी कंपनियाँ अब सीधे सेमीकंडक्टर और स्पेसटेक विनिर्माण में निवेश कर रही हैं, जिससे इस क्षेत्र को और मजबूती मिल रही है।
निष्कर्ष
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल रॉकेट लॉन्च करने तक सीमित नहीं है; यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र और राष्ट्रीय गौरव का एक शक्तिशाली संगम है। गगनयान, NISAR, और भविष्य के मिशनों के साथ, भारत न केवल अपनी तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है, बल्कि अंतरिक्ष उद्योग में एक आत्मनिर्भर और वैश्विक खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
यह यात्रा हमें दिखाती है कि अगर हम दृढ़ संकल्प और सही साझेदारी के साथ काम करें, तो सितारों तक पहुँचना भी संभव है।