भयंकर संकट: IT Sector में 50,000 Jobs का Future और AI Impact    

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AI का कहर: भारतीय IT सेक्टर में 50,000+ नौकरियों का जोखिम और ‘Silent Layoffs’ की सच्चाई

भारतीय आईटी उद्योग, जो एक समय नौकरी की सुरक्षा और स्थिर विकास का प्रतीक था, आज एक बड़े संरचनात्मक बदलाव से गुज़र रहा है। हाल के अनुमानों के अनुसार, 50,000 से अधिक तकनीकी नौकरियों पर इस वर्ष संकट मंडरा रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना है। TCS, Infosys, Tech Mahindra, और Wipro जैसी दिग्गज कंपनियाँ AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और स्वचालन (Automation) को अपनी प्रक्रियाओं में एकीकृत करने के लिए बड़े पैमाने पर ‘साइलेंट छंटनी’ (Silent Layoffs) कर रही हैं।

यह स्थिति आईटी पेशेवरों, विशेष रूप से मध्य-प्रबंधन (mid-management) और एंट्री-लेवल के कर्मचारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यह विस्तृत गाइड बताती है कि यह परिवर्तन क्यों हो रहा है, साइलेंट छंटनी के पीछे का गणित क्या है, और आप इस AI-युग में खुद को अप्रासंगिक होने से कैसे बचा सकते हैं।

1. ‘Silent Layoffs’ क्या हैं और वे क्यों बढ़ रहे हैं?

“साइलेंट छंटनी” वह प्रक्रिया है जब कंपनियाँ बिना किसी सार्वजनिक घोषणा या बड़े पैमाने पर छंटनी के नोटिस के कर्मचारियों को चुपचाप हटा देती हैं। यह अक्सर कई तरीकों से किया जाता है:

  • कम प्रदर्शन के बहाने बर्खास्तगी (Performance-Linked Exits): कर्मचारियों को PIP (Performance Improvement Plan) पर रखा जाता है, और फिर उन्हें पद से हटा दिया जाता है।
  • अनुबंधों का नवीनीकरण न करना (Non-renewal of Contracts): प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद कर्मचारियों के अनुबंधों का नवीनीकरण नहीं किया जाता है।
  • प्रमोशन रोकना और स्वैच्छिक त्यागपत्र को प्रेरित करना: कर्मचारियों को लगता है कि उनके करियर में कोई प्रगति नहीं हो रही है, जिससे वे खुद ही नौकरी छोड़ देते हैं (जिसे ‘Quiet Firing’ भी कहा जाता है)।

साइलेंट छंटनी के पीछे का ‘गणित’

यह बदलाव कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह व्यापारिक ज़रूरतों का परिणाम है:

  1. AI और स्वचालन:Generative AI और स्वचालन उपकरण अब उन routine कार्यों को कुशलता से संभाल सकते हैं जो पहले एंट्री-लेवल और मिड-लेवल कर्मचारियों द्वारा किए जाते थे।
    • प्रभावित कार्य: दस्तावेज़ीकरण, बेसिक टेस्टिंग, डेटा एंट्री, और पहली पंक्ति का ग्राहक समर्थन (First-line support)।
    • उदाहरण: TCS जैसी कंपनियों ने AI को एकीकृत करने के लिए 20,000 तक नौकरियों में कटौती करने की योजना बनाई है।
  2. वैश्विक आर्थिक दबाव: वैश्विक क्लाइंट अब तकनीकी खर्च में कटौती कर रहे हैं और कम लागत पर अधिक दक्षता की मांग कर रहे हैं। इससे भारतीय आईटी कंपनियों पर लागत को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ रहा है।
  3. कौशल विरोधाभास (Skills Paradox): भारतीय आईटी उद्योग के पास इंजीनियरिंग प्रतिभा का एक बड़ा पूल है, लेकिन इस पूल का एक हिस्सा अब ‘पुरानी टेक्नोलॉजी’ में विशेषज्ञता रखता है। AI-युग के लिए आवश्यक फुल-स्टैक इंजीनियरिंग, क्लाउड फ्लुएंसी और डेटा साइंस जैसे कौशल की भारी कमी है, जिससे कौशल बेमेल (skill mismatch) की समस्या पैदा हो रही है।
  4. पिरामिड संरचना का पतन: दशकों तक, भारतीय आईटी फर्मों ने एक ‘पिरामिड’ संरचना पर काम किया, जहाँ प्रबंधकों की कई परतें थीं। स्वचालन के कारण अब मध्य-प्रबंधन (Mid-Management) की भूमिकाएँ सबसे ज़्यादा खतरे में हैं, क्योंकि उनके समन्वय (coordination) और रिपोर्टिंग के कार्य अब AI द्वारा किए जा रहे हैं।
भयंकर संकट: IT Sector में 50,000 Jobs का Future और AI Impact

2. आपके लिए खतरे की घंटी: साइलेंट छंटनी के सूक्ष्म संकेत

यदि आप आईटी क्षेत्र में हैं, तो आपको इन ‘साइलेंट छंटनी’ के संकेतों को पहचानना चाहिए:

  • अप्रत्याशित कम रेटिंग (Unexpected Low Ratings): यदि आपको अचानक प्रदर्शन मूल्यांकन (performance review) में कम रेटिंग मिल रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि कंपनी आपको बाहर करने की योजना बना रही है।
  • प्रोजेक्ट में गिरावट: आपको महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से हटा दिया गया है, या आपके पास बहुत कम या कोई बिल योग्य काम (billable work) नहीं है।
  • प्रबंधन के साथ संवादहीनता: आपके प्रबंधक या वरिष्ठ अधिकारी आपसे सीधे बात करने या आपके करियर की प्रगति पर चर्चा करने से बचते हैं।
  • देरी से प्रमोशन: यदि आपके सहकर्मियों को प्रमोशन मिल रहा है, लेकिन आपकी पदोन्नति को लगातार टाला जा रहा है।
  • अतिरिक्त काम का बोझ (Overburdening): कभी-कभी, बचे हुए कर्मचारियों पर अतिरिक्त काम का बोझ डाल दिया जाता है, जिससे उनकी दक्षता कम हो और वे खुद ही नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाएँ।

3. AI युग में खुद को ‘अप्रासंगिक’ होने से कैसे बचाएं

आईटी उद्योग अब केवल ‘लोग प्रबंधन’ (People Management) से हटकर ‘योग्यता प्रबंधन’ (Competency Management) की ओर बढ़ रहा है। यदि आप इस परिवर्तन में सफल होना चाहते हैं, तो आपको अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करना होगा।

A. AI-आधारित कौशल विकसित करें (AI-Powered Skills)

  • प्लेटफ़ॉर्म विशेषज्ञता: AI/ML, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, और क्लाउड कंप्यूटिंग (AWS, Azure, Google Cloud) में विशेषज्ञता हासिल करें।
  • GenAI का उपयोग: अपनी दैनिक दिनचर्या में Generative AI टूल का उपयोग करना सीखें। AI का उपयोग करके कोड को डीबग (debug) करें, दस्तावेज़ों का सारांश बनाएँ, या जटिल डेटा का विश्लेषण करें।
  • पूर्ण-स्टैक कौशल: केवल एक क्षेत्र तक सीमित न रहें। DevOps, फुल-स्टैक डेवलपमेंट और SRE (Site Reliability Engineering) जैसे क्षेत्रों में कौशल प्राप्त करें।

B. लचीलापन और अनुकूलनशीलता

  • सीखने की मानसिकता: नई टेक्नोलॉजी और प्लेटफॉर्म को तेज़ी से सीखने के लिए तैयार रहें।
  • समस्या-समाधान पर जोर: अब केवल प्रक्रियाओं का पालन करने वाले कर्मचारी नहीं, बल्कि जटिल व्यावसायिक समस्याओं (complex business problems) को हल करने वाले ‘सलाहकार’ (consultants) की ज़रूरत है।

C. मिड-मैनेजमेंट के लिए विशेष रणनीति

मिड-लेवल प्रबंधकों को अपनी भूमिका को तकनीकी रूप से अपग्रेड करना होगा:

  • तकनीकी गहराई (Technical Depth): प्रबंधन के साथ-साथ तकनीकी रूप से भी कुशल बनें।
  • AI को लागू करना: अपनी टीम में AI-आधारित समाधानों को लागू करने का नेतृत्व करें, जिससे दक्षता बढ़े।

4. निष्कर्ष: एक संकट में छिपा हुआ अवसर

भारतीय आईटी क्षेत्र में चल रही यह छंटनी की लहर निश्चित रूप से एक कठिन दौर है, लेकिन यह एक चेतावनी और एक बड़ा अवसर भी है। यह उन कर्मचारियों के लिए एक अवसर है जो AI को एक खतरे के बजाय एक उपकरण के रूप में देखते हैं।

भारत स्किल्स रिपोर्ट 2025 ने स्पष्ट किया है कि जहाँ एक ओर पारंपरिक नौकरियों का पतन हो रहा है, वहीं AI इंजीनियरिंग, डेटा साइंस, और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिभा की मांग बढ़ रही है।

आईटी उद्योग अब अधिक सुव्यवस्थित, अधिक कुशल और प्रौद्योगिकी-केंद्रित बन रहा है। इस परिवर्तनशील युग में सफलता के लिए आवश्यक है कि आप आज ही अपने कौशल और मानसिकता को भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप ढालें।

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