पीएम मोदी का चीन और जापान दौरा: SCO शिखर सम्मेलन में जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात के मायने
PM Modi’s SCO Summit
हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जापान और चीन का दौरा भारत की विदेश नीति के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में उनका भाग लेना, जहाँ उन्होंने कई शक्तिशाली वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बातचीत सबसे ख़ास रही।
ये मुलाकातें ऐसे समय में हुई हैं जब अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों के कारण वैश्विक भू-राजनीति में काफी हलचल है। आइए, इस दौरे के प्रमुख बिंदुओं और भारत के लिए इसके संभावित परिणामों को विस्तार से समझते हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात: संबंधों में सुधार की उम्मीद
पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई मुलाकात पर पूरी दुनिया की नज़र थी। यह बैठक भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से तनावपूर्ण थे।
दोनों नेताओं ने व्यापार, सीमा पर शांति और आपसी सहयोग बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस बातचीत में दोनों देशों ने यह स्वीकार किया कि उनके बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए, और वे विकास के लिए “साझेदार” हैं, “प्रतिद्वंद्वी” नहीं।
इस मुलाकात के बाद, दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने, सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और लोगों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया। यह बैठक दिखाती है कि भारत और चीन, दोनों ही स्थिर और शांतिपूर्ण संबंधों की ओर लौटना चाहते हैं ताकि वे वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकें।
व्लादिमीर पुतिन से गर्मजोशी भरी मुलाकात: भारत-रूस संबंधों की मजबूती
पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई मुलाकात ने दुनिया को भारत और रूस के “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक संबंधों” की मजबूती का संदेश दिया। यह मुलाकात ऐसे समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर 50% तक के आयात शुल्क लगाए हैं।
इस बैठक में पीएम मोदी ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने का आह्वान किया और शांति की राह खोजने पर जोर दिया। पुतिन ने भी भारत को “प्रिय मित्र” बताते हुए दोनों देशों के बीच दशकों पुराने, भरोसेमंद संबंधों की सराहना की। इस मुलाकात की एक यादगार तस्वीर तब सामने आई जब दोनों नेता अपनी द्विपक्षीय बैठक के लिए पुतिन की कार में एक साथ गए, जो उनके बीच की व्यक्तिगत और राजनीतिक घनिष्ठता को दर्शाता है।
अन्य महत्वपूर्ण मुलाकातें और निष्कर्ष
चीन और रूस के अलावा, पीएम मोदी ने SCO शिखर सम्मेलन में कई अन्य नेताओं से भी मुलाकात की, जिनमें कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, मालदीव, नेपाल और बेलारूस के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री शामिल थे। इन मुलाकातों में भारत ने अपने पड़ोसी और मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को और गहरा करने का प्रयास किया।
कुल मिलाकर, पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत है। यह दौरा दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर एक मजबूत और स्वतंत्र आवाज़ बन रहा है। यह अपनी ज़रूरतों के हिसाब से अपनी विदेश नीति बना रहा है, बिना किसी महाशक्ति के दबाव में आए।

इस मुलाकात से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत, किसी भी देश के दबाव में आए बिना, अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना जारी रखेगा। यह भारत की विदेश नीति की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
यह ब्लॉग पोस्ट भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और मोदी सरकार की रणनीतिक विदेश नीति को दिखाता है।
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